
प्राकृतिक स्थान एवं स्वरुप
It occurs all over India and is also cultivated. In India, it is used as a spice with greens and vegetables. Its plant is similar to onion plants. Its plants are very soft, leafy. The leaves are long, sticky and thin. The flower stalk remains between the leaves. White flowers fall on it. The root grows from the root.
यह पूरे भारत में होता है एवं इसकी खेती भी की जाती है। भारत में साग-तरकारी के साथ मसाले के रूप में खाने के काम में लाया जाता है। इसका पौधा प्याज के पौधों की तरह ही होता है। इसके पौधे बड़े कोमल, पत्तेदार होते हैं। पत्ते लम्बे, चिपटे और पतले होते हैं। फूलों का डंठल पत्तों के बीच रहता है। इस पर सफ़ेद फूल गुच्छे में लगते हैं। जड़ से कन्द निकलता है।
औषधीय गुण एवं धर्म
दुर्गन्ध नाशक, श्वेत जनन, मूत्र जनन, बलवर्धक, रसायन, दीपन, पाचक, अनुलोमक, रोचक आदि।
उपयोगिता
- लहसुन शरीर की सब प्रकार की वात पीड़ा को नष्ट करती है। यह पेट के अफारे को दूर करने वाला और कामोद्दीपन है। यह फेफड़ों के और खासकर स्वांस नलिकाओं में जमे कफ को बाहर निकालता है। इसके अलावा यह वातरोग, आमवात, बिच्छू का विष, पागल कुत्ते का विष, लकवा, गठिया, त्वचा के रोग, दमा, कुकर खांसी, कान का बहरापन, चोट, दर्द, मरोड़, फोड़े, गले के रोग, ज्वर आदि में यह औषधि में अत्यंत उपयोगी है।
- लहसुन का पाक बनाकर खाने से लकवा में लाभ होता है।
- लहसुन के तेल की मालिश करने से गठिया और त्वचा की शून्यता मिटती है।
- लहसुन के रस को गरम जल के साथ लेने से दमे में लाभ होता है।
- जिन फोड़ों में कीड़े पड़ जाते हैं उन पर लहसुन लगाने से वे अच्छे हो जाते हैं।
- लहसुन को सिरके में भिगोकर खाने से दुखते हुए गले की ढीली पड़ी हुई रंगों का संकुचन होता है।
- राई के तेल में लहसुन की कलियों को तलकर उस तेल का मर्दन करने से खुजली और दूसरे प्रकार के चर्म रोग मिटते हैं।
- लहसुन के एक तोला रस में गाय का एक तोला घी मिलाकर पिने से आमवात मिटता है।
मात्रा (Quantity)
- रोगानुसार सेवन करें। कली 5 से 10 नग तक प्रतिदिन।
ध्यान रखें कि प्राकृतिक उत्पाद हमेशा सुरक्षित नहीं होते हैं और खुराक महत्वपूर्ण हो सकते हैं। उपयोग करने से पहले अपने फार्मासिस्ट या चिकित्सक या अन्य स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर से परामर्श करें।